मल मास के दौरान क्या करें एवं क्या ना करें

मल मास में सभी लोग अपने पापों को धोने के लिए पवित्र ग्रंथो को पाठ, दान पुण्य, नृत्य, भजन, मंत्र जाप, प्रार्थना, पवित्र स्नानादि करते हैं। इस अवधि के दौरान यदि आप व्रत रखते हैं तो निम्न बातों का ख्याल रखें:-

महीने के कुछ दिन या पूरे महीने आप पूर्ण अथवा आंषिक उपवास रख सकते हैं। भविष्योत्तर पुराण के अनुसार व्यक्ति को षुक्ल पक्ष के प्रथम उज्जवल पखवाड़े के षुरु कर कृष्ण पक्ष के अंतिम पखवाड़े तक रखना चाहिए।

व्यक्ति को अपने विचारों को साफ करना चाहिए तथा अपने षारीरिक सफाई का भी खास ख्याल रखना चाहिए। 

व्यक्ति को सच बोलना चाहिए तथा धैर्यपूर्वक कार्य करना चाहिए। इस समय कम बोलने की सलाह भी दी जाती है। व्यक्ति को इस सुनहरे अवसर पर दान पुण्य भी जरुर करना चाहिए। 

इस समय क्रोध एवं नकारात्मक होने से बचें। मांसाहारी भोजन का सेवन करने से भी बचें। 

भक्तों को निरन्तर पूजा, हवन, व्रत एवं पाठ करना चाहिए। 

व्यक्ति सुबह एवं षाम एक दीया जला सकते हैं तथा उसे पानी के बर्तन में रख सकते हैं। सभी चार दिषाओं में दीपक रखें तथा घर के मध्य में लाल एवं पीले फूलों के बीच भी एक दीपक रखें। 

सुबह एवं षाम के समय गायत्री मंत्र, नव ग्रह षांति ष्लोक तथा महा मृत्युंजय मंत्र के साथ साथ भगवान गणेष, अपने ईष्ट देव, एक नक्षत्र, कुलदेवी एवं पितरों की भी पूजा करें। 

भक्तों को सुबह भगवान विष्णु के ष्लोक का उचारण करना चाहिए तथा षाम के समय भगवान षिव एवं दुर्गा चालीसा का पाठ करना बेहतर रहेगा। इसके साथ ही हनुमान चालीसा भी सुनाई जा सकती है। 

भविष्योत्तर पुराण के अनुसार, व्यक्ति जो प्रतिदिन मल मास के दौरान जो व्रत एवं दान पुण्य करना चाहिए। यदि व्यक्ति 30 दिन तक व्रत नहीं कर सकता तो उसे ब्रहम मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए तथा भगवान विष्णु की अराधना कर पूजा करनी चाहिए। 

हिमादरी के अनुसार अधिक मास में व्यक्ति को हर दिन भगवान सूर्य की पूजा करना लाभदायक है। इसके साथ ही अनाज, घी एवं गुड़ का दान करना चाहिए। भगवत गीता का अध्याय 15 पढ़ना भी लाभदायक होता है। 

इस माह भक्तजन गोवर्धन पर्वत मथुरा श्री गिरिराज जी की परिक्रमा के लिए भी जा सकते हैं।

भारतीय ज्योतिष के अनुसार विष्णु सहस्त्रनाम एवं सुक्ता का जप भी लाभदायक सिद्ध होता है। इस माह राषियों के लिए कुछ खास रस्में भी जुड़ी हैं। आइए जानते हैं कि इस माह आपको अपनी राषि के अनुसार क्या करना चाहिए एवं क्या नहीं।

मेष, सिंह और धनु के मूल निवासी - इन राषि के जातकों को ‘‘आदित्य हृदय स्तोत्र’’ सुनाना और सुबह  भगवान सूर्य को अर्ग के द्वारा सूर्य नमस्कार करना चाहिए।

कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के मूल निवासी - इन राषि के जातकों को गंगा में पवित्र स्नान करना चाहिए और भगवान वरुण की पूजा करनी चाहिए।

मिथुन, तुला और कुंभ राशि के मूल निवासी - आप हनुमान चालीसा सुनें और भगवान हनुमान की पूजा कर सकते हैं।

वृश्चिक, कन्या और मकर राशि के मूल निवासी - आप पृथ्वी पर एक आसन पर बैठे भगवान विष्णु का ध्यान एवं मंत्रों का जाप कर सकते हैं।

पूजा, उपवास, दान दान, तीर्थयात्रा और पवित्र स्नान के सभी कृत्य व्यक्ति को अधिक आशीर्वाद और अनुग्रह देने के लिए और पिछले जन्म के पापों को खत्म करने के लिए लाभदायक हैं। लोग भगवान विष्णु के आराधना कर सांसारिक इच्छाओं से मुक्त हो जाते हैं। भगवान विष्णु बुद्धि को रोशन और अंधेरे के रास्ते से दूसरों को प्यार देने के लिए सीखने के लिए प्रेम और करुणा के साथ उत्तरोत्तर लोगों का नेतृत्व करते हैं।