अधिक मास से कैसे करें मोक्ष की प्राप्ति

अनादीमाद्यं पुरुषोत्तमं श्रीकृष्णचंद्र निजभक्तं वत्सलम ॥

स्वं त्वं संख्यांदपति परात्परं राधा पतिं त्वां शरणं वृजाम्यह्म ॥

वैदिक पुराणों के अनुसार अवंतिक नगरी में श्रावण मास में अधिक मास का आना महत्वपूर्ण माना गया है। इस महीने में किया गया दान पुण्य भक्तजनों को 3 गुना अधिक फलदायी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक 3 साल के बाद कोई भी 2 महीने एक ही नाम से जाने जाते हैं। इसमें पहले माह की अमावस्या से दूसरे माह की अमावस्या तक अधिक मास कहलाता है। अधिक मास को लोग मल मास अथवा पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है।

अधिक मास का महत्व मानने वाले भक्तजन अपने अपने धर्म के अनुसार धार्मिक, पौराणिक, सप्तसागर यात्रा करते हैं। उज्जैन की नगरी में पूर्व काल में कई ऋषि-मुनियों ने तपस्या कर अपने तपोबल के देवताओं को प्रसन्न कर अवंतिका में वास करने का आहवान किया। इस कारण अवंतिका में महाकाल वन देवी देवताओं से भरा पूरा है। अनेक धर्मों के श्रद्धालुजन अवंतिका नगरी में श्रावण अधिक मास के दौरान कल्पवास करने आते हैं।

अधिक मास अथवा मलमास के संबंध में अनेक धारणाएॅं एवं जिज्ञासाएॅं प्रचलित हैं। इस वर्ष अधिक मास 17 जुलाई से शुरू होगा। भारतीय पंचांग के अनुसार हिन्दू पंचांग में 12 माह होते हैं तथा इन्हें चन्द्रमास कहा जाता है। यह बारह चन्द्र मास मिलकर एक चन्द्र वर्ष बनाते हैं तथा इस चन्द्र वर्ष में कुल 355 दिवस होते हैं।

महर्षि वषिष्ठ द्वारा की गई गणना के अनुसार 12 मास 16 दिवस एवं 4 घंटे के उपरांत एक चन्द्र वर्ष आता है। इसमें सूर्य संक्रांति नहीं होती है। वर्ष में भले ही 13 माह हैं परन्तु उन्हें 12 ही गिना जाता है। सूर्य तथा चन्द्र वर्ष में 10 दिन का अंतर आता है तथा यह 3 वर्ष में 30 दिन का हो जाता है। ऐसा होने पर अधिक मास आता है। सूर्य 12 राषियों का भ्रमण करने में 365 दिन 15 घंटे एवं 23 पल लगाता है।

श्रद्धालु पुण्य पवित्र षिप्रा स्नान कर चार धाम यात्रा प्रारंभ करते हैं तथा अधिक मास में अधिक से अधिक दान पुण्य करते हैं। उसके बदले में सुख-षांति, पुण्य-फल, समृद्धि एवं संतोष प्राप्त होता है। अधिक मास में सप्तसागर, नौ नारायण एवं चैरासी महादेव की यात्रा फलदायी बताई गई है।