अधिक मास का धार्मिक महत्व

भगवान भोलेनाथ की तीर्थनगरी ओंकारेष्वर में मल मास का धार्मिक उल्लास चर्म पर होता है। मल मास के दौरान महिलाएॅं ब्रहम मुहूर्त में नर्मदा स्नान कर पूजा अर्चना करने जाती हैं। इस महीने नर्मदा स्नान के लिए महिलाएॅं सवेरे 4 बजे उठ तट पर जाती हैं तथा स्नान कर भगवान विष्णु का आहवाहन करती हैं। इस साल यह सिलसिला 18 जुलाई से षुरु होगा।

पुजा के दौरान भगवान कृृष्ण की पूजा कर दीपक जलाए जाते हैं। महिलाएॅं एकत्रित हो कृष्ण कथा एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करती हैं। यह पूजा खास तौर पर इसी माह में की जाती है।

अधिक मास के दौरान कृष्ण पूजा एवं विष्णु पूजा गृह षांति, आत्म षांति एवं सुख समृद्धि के लिए करी जाती है। इसके साथ ही अधिक मास के दौरान आने वाली चतुर्थी पर महिलाएॅं निर्जल उपवास रखती हैं तथा चन्द्रमा निकलने के उपरान्त उसकी पूजा करने के बाद ही जल एवं अन्न ग्रहण करती हैं। चतुर्थी पर सभी महिलाएॅं एकत्रित होकर भजन-पूजन करती है।

अधिक मास में नर्मदा स्नान एवं पूजन का विषेष महत्व होता है। इसी कारण महिलाएॅं सूर्योदय से पहले नित्य कर्म से निवृत्त हो एवं नर्मदा स्नान कर, भगवान विष्णु की अराधना करती हैं तथा विष्णु सहस्त्रनाम का पूजन-पाठ करती हैं। ऐसा करने से धर्म लाभ की प्राप्ति होती है तथा पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

पुरुषोत्तम मास के दौरान वैषाख मास के चलते उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में भात पूजा का खास महत्व है। इसी कारण इस माह भारी संख्या में लोग मंगलनाथ पहुॅंचकर भात पूता का लाभ उठाते हैं। 

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