खरमास या मलमास का ज्योतिष में क्या महत्व है
खरमास या मलमास ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण अवधि है जो हिन्दू पंचांग में आती है। यह साल के आखिरी महीने को कवर करती है और इसे धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। खरमास, जिसे अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे आधिक मास, पुरुषोत्तम मास, अधिकादिक मास, आशाढ़िया, लेप्ता मास, इत्यादि, का मौद्रिक पर्व भी होता है। खरमास के दौरान शास्त्रों में विशेष महत्वपूर्णता दी जाती है क्योंकि इस समय धार्मिक क्रियाएं नहीं की जाती हैं, विवाह आदि कार्यों से बचा जाता है। खरमास में अनेक व्रत, पूजा, दान आदि की बढ़ती हैं, जिससे धार्मिक साधना में वृद्धि होती है। ज्योतिष में खरमास को ग्रहणों, योगों, और मुहूर्तों के लिए अनुष्ठान की अच्छी अवधि माना जाता है। इस समय ध्यान, तपस्या, और आत्मा के प्रति साधना में लगने के लिए उत्तम है। खरमास का आयोजन आमतौर पर कार्तिक मास में होता है, जिसमें ब्राह्मणों को दान और अनुष्ठान के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति का साधन करने का अवसर मिलता है। यह समय विशेषकर सत्कर्मों के लिए सात्विकता की ऊँचाई को प्राप्त करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।